मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 25 जुलाई 2013

कश्मीर और आतंक

                                हर साल की तरह इस बार भी वार्षिक अमरनाथ यात्रा के समय जिस तरह से पहले रामबन में छोटी सी बात को लेकर सुरक्षा बलों पर ज़्यादती के आरोप लगाए गए और पाक द्वारा जिस तरह से नियंत्रण रेखा का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है वह पाक की उस मनः स्थिति को ही दर्शाता है जिससे वह किसी भी तरह से कश्मीर में कुछ न कुछ करता रहना चाहता है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से नियंत्रण रेखा पर भारतीय सुरक्षा बलों का और अधिक कड़ा नियंत्रण हो गया है उसमें अब पाक के लिए कश्मीर घाटी में आतंकियों की घुसपैठ कराना उतना आसान नहीं रह गया है जितना पहले हुआ करता था. सर्दियों के मौसम में ऊंची पहाड़ियों पर आवागमन दुष्कर हो जाता है तो आज कल का मौसम किसी भी तरह से घुसपैठ के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है. पाक जिस तरह से इस वर्ष अकारण ही नियंत्रण रेखा पर गोलियां चलाने से बाज़ नहीं आ रहा है उससे भी उसकी मंशा साफ़ हो जाती है. पिछले कुछ दिनों में घुसपैठ के प्रयासों में जिस तरह से तेज़ी आई है वह चिंता का विषय भी है.
                                कश्मीर घाटी में स्थित पवित्र अमरनाथ शिवलिंग के दर्शनों के लिए इस समय विश्व भर से श्रद्धालु यहाँ की यात्रा करते हैं और यह पिछले तीन वर्षों से देखा जा रहा है रहा है कि किसी न किसी बहाने से इसी यात्रा के समय वहां पर किसी मसले को लेकर गड़बड़ करने की कोशिशें की जाती हैं जिससे यात्रा को किसी भी तरह से रोका जा सके. सीधे तौर पर इस यात्रा के सामान्य रूप से चलते रहने से आम कश्मीरियों का जितना लाभ हो जाता है वह उनकी सर्दियों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए काफी होता है पर धर्म के नाम पर राज्य को बांटने की साजिश करने वाले पाक और उसके समर्थित आतंकियों द्वारा जिस तरह से एक सोची समझी साजिश के तहत ही इस यात्रा को लगातार किसी भी तरह से अशांति फैलाकर रोकने का प्रयास किया जाता रहता है जो पूरी कश्मीर घाटी के लोगों के आर्थिक हितों पर सीधी चोट करता है. पाक के इस क़दम को अभी तक कश्मीरियों द्वारा पूरी तरह से समझा ही नहीं जा सका है जिससे उनकी मूलभूत आवश्यकताओं और रोज़गार के बीच में अक्सर ही पाक और ये आतंकी आ जाया करते हैं.
                                पाक का यह प्रयास सिर्फ इसलिए भी होता है क्योकि जब इन कश्मीरी आम लोगों के पास रोज़ी रोटी का संकट होगा तो वे युवाओं को बहकाकर आतंक के समर्थन में करने में सफल हो जायेंगें और जब घर में खाने के लाले पड़े हों तो किसी को भी आसानी से बरगलाया जा सकता है जिससे पाक का नए आतंकियों को भर्ती करने का मंसूबा भी सफल हो जाता है और स्थानीय लोगों में सरकार और सेना के ख़िलाफ़ असंतोष भी पनपता रहता है. पाक के इस दुश्चक्र को आम कश्मीरी या तो अभी तक पूरी तरह से समझ ही नहीं पाया है या फिर वह चुप रहकर उसकी इस तरह की बातों का समर्थन ही किया करता है जिससे कश्मीर में शांति और विकास के सभी प्रयास नाक़ाम होते दिखाई देते हैं. सुरक्षा बलों पर ज्यादती का आरोप लगाकर लोगों को भड़काने का ऐसा मसला है कि इसे आसानी से अंजाम दिया जा सकता है और लोग आसानी से इसके ख़िलाफ़ खुलकर सामने आ जाते हैं ? इस पूरी कवायद से पाक और आतंकियों को तो थोडा लाभ मिलता है पर उससे आम कश्मीरी की आर्थिक स्थिति पहले से भी बदतर होने की तरफ मुड़ जाती है जो पहले से परेशान कश्मीरियों को और परेशान करती रहती है.             
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1 टिप्पणी:

  1. कश्मीरी समझ तो रहे होंगे कि जितनी कश्मीर में शांति रहेगी उनकी रोटी रोजी सुख से चलेगी । बच्चे स्कूल जायेंगे । कम की उपलब्धी होगी ।
    पाक की अब यही कोशिस होगी कि वह ज्यादा स ज्यादा आतंकियों को भेज कर कश्मीर की स्थिति बिगाडें । कश्मीरी ही इनकी रिपोर्ट कर के इनका साथ न देकर अपना जीवन सुधार सकते है ।

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